इंकम टैक्स बचाने की सही विधि क्या है?
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1903 |
3/5/24 6:07 AM |
इनकम टैक्स या आयकर के नाम से हर व्यक्ति परिचित है। सरकार द्वारा तय की गयी एक निश्चित राशि से अधिक आय अर्जित करने वाले सभी व्यक्तियों को अपनी आय पर आयकर का भुगतान करना आवश्यक है। परन्तु इसके साथ साथ ये बात भी सच है कि सरकार के द्वारा कई ऐसे नियम बनाए गए हैं, जिनके बारे में यदि आपको सही जानकारी हो तो उनका इस्तेमाल करके आप अपने टैक्स के बोझ को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
भारत की प्रगतिशील कर प्रणाली में एक समझदार करदाता के रूप में आपके लिए यह जरुरी है की आप अपनी कर योजना को बनाते समय कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विशेष ध्यान दें। अलग-अलग खर्चों या निवेशों पर उपलब्ध कटौतियों को समझना और उनका सही इस्तेमाल करना आपके टैक्स के भार को कम करने में काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
आयकर क्या है?
सरल शब्दों में कहें तो आयकर, या इनकम टैक्स एक प्रकार का वित्तीय कर है जिसे सरकार द्वारा नागरिकों से उनके द्वारा वित्तीय वर्ष में अर्जित किये धन पर लिया जाता है। निश्चित रूप से आयकर सरकार के लिए सामाजिक और आर्थिक विकास हेतु आवश्यक धन जुटाने का एक माध्यम तो है ही साथ ही साथ हर नागरिक के लिए यह एक वित्तीय और कानूनी दायित्व भी है। सरकार द्वारा नागरिकों की आय पर लगाए जाने वाले इस कर का उपयोग सरकार द्वारा विभिन्न परियोजनाओं और सामाजिक विकास के लिए किया जाता है। किसी भी व्यक्ति के आयकर का निर्धारण व्यक्ति की कुल कमाई के आधार पर किया जाता है।
आयकर बचाने के तरीके
आयकर अधिनियम के तहत दी जाने वाली कटौती और छूट का सही तरीके से उपयोग कर आप अपने टैक्स की बचत कर सकते हैं। इनमें वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए "लीव ट्रैवल अलाउंस” और "हाउस रेंट अलाउंस" जैसे वेतन भत्तों के साथ-साथ स्टैंडर्ड डिडक्शन भी शामिल है। आयकर बचाने के लिए और भी कई अन्य तरीके हैं जिन्हे सरकार द्वारा स्वीकृति प्राप्त है और यदि आप अपनी आय का सही तरीके से प्रबंधन करते हैं तो इससे काफी राहत पाई जा सकती है। इन्हे मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
- व्यक्तिगत खर्च
- निवेश
व्यक्तिगत खर्चों पर छूट:
व्यक्तिगत खर्चों पर छूट भारत में आयकर अधिनियम की धारा 80C से 80U के तहत उपलब्ध हैं। इन छूटों का उद्देश्य करदाताओं को अपने व्यक्तिगत खर्चों को कवर करने में मदद करना है और उन्हें अपनी कुल आय पर कम कर का भुगतान करने की अनुमति देना है। व्यक्तिगत खर्चों पर छूट के कुछ सामान्य उदाहरण निम्नलिखित हैं:
- स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम (धारा 80D): धारा 80D आयकर अधिनियम के तहत स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर आयकर में छूट प्रदान करती है। यह छूट उन व्यक्तियों को मिलती है जो अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य के लिए मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी लेते हैं।
शिक्षा खर्च (धारा 80E): धारा 80E के तहत, करदाता अपने स्वयं, या आश्रित बच्चों की शिक्षा के लिए किए गए खर्च पर छूट का दावा कर सकते हैं। छूट का दावा करने के लिए, करदाता को अपने आयकर रिटर्न में शिक्षा संस्थान से प्राप्त प्रमाण पत्र जमा करना होगा।
मकान किराया भत्ता (HRA): यदि आप अपने घर का किराया दे रहे हैं, तो आपको आयकर अधिनियम धारा 10(13 ए) के तहत कुछ सीमा तक मकान किराया भत्ता में आयकर की छूट मिल सकती है।
पेंशन योगदान (धारा 80CCD): आप चाहे वेतनभोगी हों या स्व-व्यवसायी यदि आपने एनपीएस में योगदान दिया है तो इस धारा के अंतर्गत आपको आयकर में छूट मिल सकती है।
बीमा प्रीमियम (धारा 80C): आप अपने लाइफ इंश्योरेंस या टर्म इंश्योरेंस के प्रीमियम के लिए किए गए भुगतान पर आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी के तहत छूट का दावा कर सकते हैं।
ऋण के ब्याज पर छूट (धारा 80TTA, 80TTB, 80TCC, 80TTD, 80TQ): आयकर अधिनियम की इन धाराओं के अंतर्गत आपको घर खरीदने, शिक्षा, व्यवसाय और कृषि के लिए गए ऋण पर दिए गए ब्याज पर आयकर छूट मिल सकती है। छूट की सीमा ऋण के प्रकार के आधार पर अलग-अलग होती है।
दान पर आयकर छूट: भारत में, दान पर आयकर छूट आयकर अधिनियम की धारा 80G के तहत उपलब्ध है। इस धारा के अंतर्गत, करदाता किसी भी पंजीकृत धर्मार्थ संस्थान को किए गए दान पर छूट का दावा कर सकता है। साथ ही राष्ट्रीय रक्षा कोष और प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष केंद्र कुछ ऐसे उदहारण
हैं जिन पर किसी अधिकतम सीमा के बिना 100% आयकर छूट प्राप्त की जा सकती है।
निवेश पर छूट:
भारत में निवेश पर छूट आयकर अधिनियम की धारा 80C से 80U के तहत उपलब्ध हैं। इन छूटों का उद्देश्य करदाताओं को अपने भविष्य के लिए बचत करने और उन्हें अपनी कुल आय पर कम कर का भुगतान करने की अनुमति देना है।
निवेश पर छूट के कुछ सामान्य उदाहरण निम्नलिखित हैं:
- पेंशन योजनाओं में योगदान (धारा 80CCD, 80CCD(1B))
- राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) में योगदान (धारा 80CCD(1B))
- इक्विटी योजनाओं में निवेश (धारा 80C)
- प्रॉपर्टी में निवेश (धारा 80C)
- हेल्थ इंश्योरेंस योजनाओं में योगदान (धारा 80D)
- शिक्षा योजनाओं में निवेश (धारा 80E)
निवेश पर छूट का दावा करने के लिए, करदाताओं को अपने आयकर रिटर्न में उचित दस्तावेज़ जमा करने की आवश्यकता होती है। ये दस्तावेज़ आमतौर पर निवेश प्रमाण पत्र, बीमा पॉलिसी और शिक्षा प्रमाण पत्र होते हैं।
निवेश पर छूट का दावा करने से पहले, करदाताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे सभी पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं। इन मानदंडों में आमतौर पर आय सीमा, निवेश की सीमा और दस्तावेजीकरण आवश्यकताएं शामिल होती हैं।
आयकर बचाने के लिए उपाय:
व्यक्तिगत खर्चों का अच्छे से प्रबंधन करें:
व्यक्तिगत खर्चों को सही ढंग से नोट करें और उन्हें अपनी आयकर रिटर्न में शामिल करें।
निवेश करें:
विभिन्न निवेश योजनाओं में निवेश करें जैसे कि जीवन बीमा, पेंशन योजना, राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र, आदि।
वित्तीय सलाह लें:
एक वित्तीय सलाहकार से मिलकर आप अपनी वित्तीय योजना को और बेहतर बना सकते हैं।
आयकर बचाने के लिए नियमों का पालन करें:
निवेश की अवधि और राशि का ध्यान रखें:
निवेश की अवधि और निवेश की राशि के लिए निर्धारित नियमों का पालन करें।
अपनी आय का अनुमान लगाएं:
आपनी सालाना आय का अनुमान लगाकर आप यह देख सकते हैं कि आपको कितना आयकर देना होगा।
अपने खर्चों का ट्रैक रखें:
अपने खर्चों को ठीक से नोट करें ताकि आप उन पर छूट प्राप्त कर सकें।
निवेश की योजना बनाएं:
अपनी निवेश की योजना बनाएं ताकि आप आयकर बचाने के लिए सही तरीके से निवेश कर सकें।
आयकर बचाना और निवेश करना आपकी आर्थिक स्थिति को मजबूती देने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। ध्यानपूर्वक योजना बनाए और वित्तीय सलाह प्राप्त करें ताकि आप अपनी कमाई का सही तरीके से प्रबंधन कर सकें और आयकर में छूट प्राप्त कर सकें।
Aastha Mestry - Portfolio Manager
An Author and a Full-Time Portfolio Manager, Aastha has 6 years of experience working in the Insurance Industry with businesses globally. With a profound interest in traveling, Aastha also loves to blog in her free time.