एडलवाइज लाइफ़ की स्टडी : भारत में सैंडविच जेनरेशन के 60%* लोगों को भविष्य की फाइनेंशियल सिक्योरिटी की चिंता
एडलवाइज लाइफ़ की स्टडी : भारत में सैंडविच जेनरेशन के 60%* लोगों को भविष्य की फाइनेंशियल सिक्योरिटी की चिंता
2/15/25 9:54 AM
गुड़गांव ब्यूरो भारत में सैंडविच जेनरेशन के लोग अपने माता-पिता और बच्चों की ज़िंदगी को हर संभव तरीके से सबसे बेहतर बनाने पर ध्यान देते हैं, फिर भी उन्हें ऐसा लगता है कि वे अपने भविष्य के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हैं। एडलवाइज लाइफ़ इंश्योरेंस की एक स्टडी के अनुसार, 60% उत्तरदाता इस बात से सहमत हैं कि, "चाहे मैं कितनी भी सेविंग या इन्वेस्ट कर लूँ, पर ऐसा लगता है कि ये भविष्य के लिए काफ़ी नहीं है।"
सामान्य तौर पर 35 से 54 साल की उम्र के लोगों को सैंडविच जेनरेशन कहा जाता है, जिनके कंधों पर दो पीढ़ियों – यानी अपने बुजुर्ग माता-पिता और बढ़ते बच्चों की आर्थिक ज़रूरतों को पूरा करने की ज़िम्मेदारी होती है। जीवन बीमा कंपनी ने यूगव (YouGov) के साथ मिलकर देश के 12 शहरों में इस जेनरेशन के 4,005 लोगों का एक सर्वे किया, ताकि उनके नज़रिये, उनकी धारणा और वित्तीय तैयारी के स्तर को समझा जा सके।
इस मौके पर एडलवाइज लाइफ़ इंश्योरेंस के एमडी एवं सीईओ, सुमित राय ने कहा, "पिछले कुछ सालों में अपने ग्राहकों के साथ बातचीत के आधार पर हमने इस बात को करीब से जाना है कि, सैंडविच जेनरेशन के लोग किस तरह अपने माँ-बाप और बच्चों की देखभाल के बीच फंसे हुए हैं। वे स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसी ज़रूरी सुविधाएँ उपलब्ध कराना चाहते हैं, साथ ही वे अरमानों भरी ज़िंदगी भी देना चाहते हैं, जिसमें ‘ज़रूरतों’ को पूरा करने के लिए 'ख़्वाहिशों' की कुर्बानी नहीं देनी पड़े। यही सबसे बड़ी वजह है, जो उन्हें वित्तीय फैसले लेने के लिए प्रेरित करती है। और इन सब के बीच, वे अक्सर अपने सपनों को पीछे छोड़ देते हैं, जिससे उन्हें यह महसूस होता है कि वे भविष्य के लिए तैयार नहीं हैं।"
उनके वित्तीय फैसले परिवार के लिए अपनी ज़िम्मेदारी और प्यार पर आधारित होते हैं। हमारी स्टडी के नतीजे बताते हैं कि, इस जनरेशन के लोगों में आर्थिक रूप से तालमेल का अभाव या मनी डिस्मॉर्फिया (सरल शब्दों में, मनी डिस्मॉर्फिया का मतलब है, अपनी आर्थिक स्थिति के बारे में दुखी महसूस करना) है। 50% से अधिक लोग अलग-अलग बातों से अपनी सहमति जताते हैं, जिसमें पैसे खत्म होने की चिंता, हमेशा पीछे रह जाने और ज़िंदगी में कुछ अच्छा नहीं कर पाने का अहसास शामिल है।
अगर उनके 5 सबसे पसंदीदा प्रोडक्ट कैटिगरी– यानी लाइफ़ इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस, इक्विटी और बैंक एफडी की बात की जाए, तो इन सभी केटेगरी में 60% से भी कम लोगों ने अपने इन्वेस्टमेंट को बरकरार रखा है, और इससे भी कम लोग अगले 1-2 सालों तक इसे बरकरार रख पाने की उम्मीद करते हैं। इस स्टडी में आगे की जाँच करने पर पता चला कि, इन सभी प्रोडक्ट कैटिगरी को समय से पहले समाप्त कर दिया गया है, जिसका सीधा मतलब यह है कि उन्होंने पहले से तय किए गए लक्ष्यों को पूरा करने से पहले ही इनका उपयोग कर लिया था। पैसों की सख्त ज़रूरत की वजह से उन्हें समय से पहले अपने इन्वेस्टमेंट का उपयोग करना पड़ा, जबकि छुट्टियाँ, त्यौहारों के दौरान खर्च जैसी गैर-महत्वपूर्ण ज़रूरतें भी इसके गैर-महत्वपूर्ण कारण के रूप में उभरकर सामने आईं। इस जनरेशन के लोगों की ख़्वाहिशें मुख्य रूप से अपने बच्चों के भविष्य (उनकी पढ़ाई और शादी के लिए पैसे जुटाना), अपने माता-पिता की सेहत से जुड़ी ज़रूरतों और परिवार के जीवन स्तर को बेहतर बनाने पर केंद्रित हैं।
Recent News
- 12 May 2025 |
- 459
Savings Life Insurance Plan Launched With Unique Benefits MSN
- 18 Aug 2022 |
- 917
Cricketer Mithali Raj bats for Edelweiss Tokio Life’s Flexi Savings Plan
- 26 Aug 2022 |
- 1092
Money Talk: Why should you discuss it with your kids?
- 30 Jan 2024 |
- 1092
Empowering Gen Z with 360 degree approach in financial planning
- 30 Jan 2024 |
- 1173
Empowering Gen Z with 360-degree approach in financial planning
- 20 Oct 2022 |
- 1155
Life Insurance Return of Premium Plans: Know if it suits you best
- 30 Jan 2024 |
- 1114
Life Insurance Return of Premium Plans: Know if it suits you best
- 17 Sep 2023 |
- 1056
Over 50% Indians Feel Their Savings Won't Be Enough For Future: Study
- 22 Feb 2025 |
- 619